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गौ माता

 एक समय की बात हैएक पहाड़ी के नीचे एक गांव था जिसका नाम रामगढ़ था। इस गांव में रहने वाले सभी जानवर सुबह हरी घास खाने के लिए उसी पहाड़ी के ऊपर के जंगल में जाते और शाम को वापस घर लौट आते थे।

 

हर दिन की तरहएक गाय जिसका नाम था लक्ष्मीदूसरी गायों के साथ उसी पहाड़ी के जंगल में हरी घास चरने जाती थी। लक्ष्मी को यह हरा घास खाना इतना पसंद आता कि वह यह भूल जाती कि वह एक शेर की गुफा के पास आ गई है। शेरजो पिछले दो दिनों से भूखा था और अपनी गुफा में सो रहा थाउसकी आवाज सुनकर जाग उठा।

 

शेर धीरे-धीरे अपनी गुफा से बाहर आया और वहां पहुँचकर लक्ष्मी को देखकर खुश हो गया। शेर ने मन में सोचा कि आज उसकी दो दिनों की भूख मिट जाएगी। वह इस स्वस्थ गाय के ताजा मांस को खाने का इरादा बना लिया और एक तेज़ दहाड़ दिया। इस भयंकर दहाड़ से लक्ष्मी बहुत डर गई। वह देखने के बाद हर ओर देखने लगीलेकिन उसके आस-पास कोई दूसरी गाय नहीं दिखी।

 

लक्ष्मी अपनी हिम्मत इकट्ठा करते हुए पीछे मुड़ी और शेर को देखा। शेरजिसने दो दिनों से भूखा थाउसके पास खड़ा था। शेर ने विचार किया कि आज उसका भूखा मिट सकता हैऔर इसलिए उसने लक्ष्मी से कहा, "मैं तो पिछले दो दिनों से किसी भी शिकार को पकड़ नहीं सका और मैं भूखा हूं। शायद इसलिए भगवान ने मेरा पेट भरने के लिए तुझे मेरे पास भेजा है। आज मैं तुझे खाकर अपनी भूख मिटा दूंगा।" लक्ष्मीडर से कांपती हुईबोली, "कृपया मुझे छोड़ दें! मेरे पास एक बच्चा है जो मेरी दूध पर हैऔर वह अभी भी घास नहीं खा सकता।"

 

शेर अपनी दहाड़ के बाद मुस्कुराया और कहा, "क्या मैं छोड़ दूं एक शिकार जो मेरे हाथ आया हैआज मैं अपनी दो दिनों की भूख को मिटाऊंगाऔर तुम मेरा शिकार करके जा सकती हो।" शेर की धमकी से लक्ष्मी और डर गई और उसने विनती की, "कृपया मुझे छोड़ दें। मैं आपको छोड़कर कल सुबह अपने बच्चे को दूध पिलाने के बाद लौटूंगी। मैं खुद अपने आप को आपके पास लेकर आऊंगी।" शेर ने लक्ष्मी की इस बिना की इच्छा को मान लियालेकिन धमकी दी कि अगर वह कल नहीं वापस आईतो वह उसके गांव आकर उसे और उसके बच्चे को खा जाएगा।

 

लक्ष्मी ने अपनी विनती पर शेर को मान लिया और खुशी-खुशी अपने बच्चे के पास लौट आईआगे कल सुबह को वादा किया कि वह वादा पूरा करने के लिए शेर के पास लौटेगी। इसके बादजब सूरज उदित हुआतो लक्ष्मी अपने बच्चे के पास गईउसे दूध पिलायाऔर अपने डरावने अनुभव का सांझा किया। उसने अपने बच्चे से वादा किया कि वह वादा पूरा करने के लिए कल सुबह वापस आएगी।

 

उसके बच्चे ने अपनी मां की कहानी सुनकर रोना शुरू कियालेकिन लक्ष्मी की संकल्पना मजबूत थीऔर वह अपने वादे को पूरा करने के प्रति दृढ़ रही।

 

अगली सुबहसूरज की किरणों के साथलक्ष्मी फिर से शेर की गुफा की ओर बढ़ी और अपने वादे को पूरा करने के लिए वहां पहुँच गई। शेर ने उसकी आवाज सुनते ही अपनी गुफा से बाहर निकलकर आये और उसकी असली रूपजो एक दिव्य प्राणी का थाप्रकट किया। उसने कहा, "मैं तो तुम्हारी ईमानदारी की परीक्षा ले रहा था। तुमने अपना वादा पूरा कियाऔर मैं इससे बहुत प्रसन्न हूं। तुम अब अपने घर और अपने बच्चे के पास जा सकती हो।"

 

शेर ने लक्ष्मी को गौ माता होने का आशीर्वाद दिया और उसके बाद से सभी गायों को गौ माता कहने का प्रारंभ किया।

 

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें अपने वचनों का पालन करना चाहिएचाहे हमारे सामने कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न हों। इसके साथ ही हमें साहसी और विश्वासी रहना चाहिएजैसे कि लक्ष्मी ने कियाऔर वचनों को पूरा करने के लिए समर्थ होना चाहिए।

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